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आँसुओं का काफिला
कुछ घट सा गया मुझमें तेरे जाने से
खुशियाँ सारी ले गयी इक छोटे से बहाने से
क्यूँ साथ तेरा मेरा इतना कम रहा
आँसुओं का काफिला न जाने क्यूँ न थम रहा
कुछ अलग ही था तेरे साथ होने का एहसास
ज्यों चकोर हो अपने चाँद के साथ
तेरे बिन रातों में पलकों का आशियाना नम रहा
आँसुओं का काफिला न जाने क्यूँ न थम रहा
मुझे याद है जब तेरी ज़ुल्फें मेरे चेहरे पर बिखरती थीं
वो लहरा कर न जाने क्या ब्यान करती थीं
उसे न समझ पाने का दिल में गम रहा
आँसुओं का काफिला न जाने क्यूँ न थम रहा
तू और किसी की आघोश में है आज
तू मुझे चाहती है ये तेरे दिल में है राज़
तेरे प्यार को कुबूला ये ज़माने को न जम रहा
आँसुओं का काफिला न जाने क्यूँ न थम रहा
तेरी यादों में जीने की अब आदत सी है
तुझे याद करना मेरे लिए इबादत सी है
थरथराते ये लब रुक जाएगें जिस दिन जिस्म में दम न रहा
आँसुओं का काफिला न जाने क्यूँ न थम रहा
विश्वेन्द्र सिंह