Author: Dr. Vijay Kumar Bharteya

वायदों से पेट नहीं भरता, नारों से देश नहीं बनता। जनतंत्र का सुनाने से, जनता का राज नहीं बनता। परिवर्तन न जाने कब होगा, कब लोग यहाँ के जागेंगे। अपने धीरज की कीमत कब, इन पेटु नेताओं से मांगेंगे। न हो निराश, न दिल छोड़ो, ऐसा भी इक दिन आएगा। समय बदलता आया है, समय बदलता जाएगा। भारत सोने की चिड़िया बन, फिर विश्व गुरु कहलाएगा। —— इस कविता में लेखक ने भारतीय राजनीति की स्थिति और जनता की निराशा को व्यक्त किया है। वह कहते हैं कि केवल वायदे और नारे देकर जनता का पेट नहीं भर सकता और…

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वर्ष 2014 के बाद से, भारत की जनता अपनी गुलामी की निशानियों को तेजी से तोड़ते हुए, इतिहास में नए गौरवपूर्ण स्तंभ स्थापित कर रही है और भारत को फिर से उसके स्वर्णिम युग की ओर अग्रसर कर रही है। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण इसका प्रमुख उदाहरण है, जहाँ 500 साल बाद श्रीराम लला अपने बालरूप में विराजमान हुए हैं। इसके अतिरिक्त, नए भव्य संसदीय भवन का गौरवपूर्ण निर्माण और शुभारंभ भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत अब विश्व के सभी मंचों पर नेतृत्व और गौरवपूर्ण भागीदारी निभा रहा है। वैश्विक मंचों…

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जय जवान जय किसान!यहां जनता ही भगवान्!!जनता ही भाग्य विधाता!जनता ही कुर्सी दाता!!वोट से फूंके प्राण!मूल मंत्र मतदान!!रुप रंग का भेद नहीं!नर नारी सभी समान!!ऊंच नीच का भेद नहीं!सबका मूल्य समान!!नाचें गाऐं खुशी मनाऐं!लोकतंत्र का परव मनाऐं!!सभी करें मतदान!!अपना प्यारा है संविधान!!यह भारत देश महान!यह भारत देश महान!! हमारी सेना के जवान Minus Zero Temperatures में भी साइचन की बरफ से लदी पहाडियों में और पोखरण रेगिस्तान की तपती लू में सदा सजग रह कर अपनी डयूटी निभा रहे हैं 🙏 इसी प्रकार हमें अपने वोट डाल कर देश के लिए अपने फर्ज को ज़रूर निभाना चाहिए

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